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    देव दीपावली 2025:आज मनाया जा रहा है, देवताओं का काशी में अवतरण और त्रिपुरासुर वध की पौराणिक कथा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    देव दीपावली 2025:आज मनाया जा रहा है, देवताओं का काशी में अवतरण और त्रिपुरासुर वध की पौराणिक कथा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


    We News 24 :डिजिटल डेस्क »वाराणसी/नई दिल्ली | प्रकाशित: 5 नवंबर 2025, सुबह 08:20 बजे (IST)

    आज, 5 नवंबर 2025 को देशभर में देव दीपावली का पवित्र पर्व मनाया जा रहा है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, और देवताओं ने काशी (वाराणसी) में उतरकर दिवाली मनाई थी। इस अवसर पर गंगा स्नान और दीपदान का विशेष महत्व है, खासकर काशी के घाटों पर जहां लाखों दीपक जलाए जाते हैं। सुबह 08:20 बजे (IST) तक गंगा किनारे की तैयारी जोरों पर है, और श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़ पड़े हैं। आइए, इस पावन पर्व के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सामग्री के बारे में जानते हैं।


    देव दीपावली का महत्व: देवताओं का पृथ्वी अवतरण

    पौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर—तीन किलों (त्रिपुर) का राक्षस—ने देवताओं को परेशान किया। भगवान शिव ने अपने त्रिशूल पिनाक  से उसका वध किया, और इस जीत की खुशी में देवता काशी आए। इस दिन गंगा स्नान से पापों का नाश और दीपदान से समृद्धि की प्राप्ति होती है। वाराणसी के गंगा घाटों पर आज शाम को 10 लाख से अधिक दीपक जलाने का लक्ष्य है।


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    शुभ मुहूर्त: प्रदोष काल में करें पूजा


    पूर्णिमा तिथि: 4 नवंबर, रात 10:36 बजे शुरू, 5 नवंबर, शाम 6:48 बजे समाप्त।

    प्रदोष काल: शाम 5:15 बजे से 7:50 बजे तक (सबसे शुभ समय)।

    दीपदान: इस दौरान घाटों और घरों में दीपक जलाने का विधान है।


    श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि प्रदोष काल में गंगा स्नान और पूजा करें। मौसम विभाग के अनुसार, आज वाराणसी में तापमान 18-25°C रहेगा, जो स्नान के लिए अनुकूल है।


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    पूजा सामग्री

    गंगाजल, साफ कपड़ा

    दीपक और घी

    फूल, धूप-अगरबत्ती

    शिव, लक्ष्मी और विष्णु की प्रतिमा

    बेलपत्र, तुलसी, दुर्वा घास

    फल, मिठाई, पंचामृत


    पूजा विधि: गंगा स्नान से शुरू करें दिन


    सुबह स्नान: सुबह उठकर स्नान करें। संभव हो तो गंगा में डुबकी लगाएं, वरना घर पर गंगाजल मिलाकर नहाएं।

    स्थान शुद्धि: घर और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।

    प्रतिमा स्थापना: शिव, लक्ष्मी और विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।

    प्रदोष काल पूजा: शाम 5:15-7:50 बजे पूजा शुरू करें। दीपक जलाएं, फूल-धूप अर्पित करें।

    मंत्र जाप: 'ओम नमः शिवाय', 'ओम नमो भगवते रूद्राय', 'ओम लक्ष्मी नारायणाय नमः' का जाप करें।

    दीपदान: घर, आंगन और मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। काशी में गंगा घाट पर दीप छोड़ें।


    काशी में तैयारियां: लाखों दीपों का उत्सव

    वाराणसी प्रशासन ने 80 घाटों पर सुरक्षा और स्वच्छता का इंतजाम किया है। गंगा सेवा निधि के संयोजक शंकर मिश्रा ने बताया, "हमारा लक्ष्य 10 लाख दीप जलाना है। श्रद्धालुओं के लिए 5,000 वॉलंटियर्स तैनात हैं।" गंगा आरती शाम 6 बजे शुरू होगी, जिसमें 51 ज्योति कलश होंगे।



    सावधानियां


    भीड़भाड़ में सावधानी बरतें। पिछले साल 2024 में घाटों पर 2,000 से अधिक लोग चोटिल हुए थे।

    मौसम ठंडा होने से गर्म कपड़े साथ रखें।


    यह पर्व आस्था और एकता का प्रतीक है। क्या आप भी दीप जलाने की तैयारी में हैं? अपने अनुभव साझा करें!


    (deepawali-2025-puja-muhurat-kashi-ghats 

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